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शनि ग्रह के प्रकोप से कैसे बचें?


 शनि ग्रह का नाम सुनते ही हमारे मन में अक्सर भय, संशय, दुविधा और निराशा की भावनाएँ उमड़ पड़ती हैं। ऐसा लगता है कि शनि का प्रभाव जीवन में चुनौतियाँ और संघर्ष ही लाता है, और कहीं न कहीं हमने इसे एक नकारात्मक ग्रह के रूप में ही देखना शुरू कर दिया है।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि शनि केवल कठिनाइयाँ ही नहीं, बल्कि जबरदस्त धन-संपत्ति और सफलता भी दे सकता है? छप्पर फाड़कर धन देने वाला और सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करने वाला ग्रह शनि ही है। यह एक कठोर शिक्षक जरूर है, लेकिन यह हमें कर्मों के महत्व को समझाने और गलतियों से सबक लेकर आगे बढ़ने का अवसर भी देता है।

यदि हम इसके बताये हुए रास्ते पर चलें और सही कर्म करें, तो शनि हमें जीवन में सम्मान, शोहरत और स्थिरता का आशीर्वाद भी देता है। वास्तव में, शनि का उद्देश्य हमें जीवन में सही दिशा में आगे बढ़ाना है ताकि हम अपने कर्मों के फल को समझ सकें और जीवन को सार्थक बना सकें।

शनि: क्या इनसे डरने की आवश्यकता है?

वैदिक ज्योतिष में शनि को ‘कर्मफलदाता’ कहा गया है, यानी यह ग्रह हमारे कर्मों के अनुसार हमें फल प्रदान करता है। शनि हमेशा हमारे कर्मों का लेखा-जोखा रखता है और समय आने पर उन कर्मों का परिणाम हमें देता है। ये परिणाम हमारे कर्मों पर निर्भर करते हैं – यदि कर्म अच्छे हैं तो फल भी अच्छा होगा, और यदि कर्म बुरे हैं तो परिणाम भी कठिनाइयाँ ला सकता है।


शनि के प्रभाव को लेकर अधिकतर लोग उसके प्रकोप से डरते हैं, पर असल में शनि का एकमात्र उद्देश्य हमें कर्मों की वास्तविकता का अहसास कराना है। शनि के प्रकोप से बचने का सबसे सशक्त उपाय यह है कि हम अपने कर्मों को सुधारें।


एक समझदार व्यक्ति के लिए यह जानना अधिक महत्वपूर्ण है कि "मैं अपने कर्मों को कैसे बेहतर बनाऊँ?" बजाय इसके कि वह शनि के प्रकोप से बचने के उपायों की खोज में लगे। जब हम अच्छे और सच्चे कर्म करते हैं, तो शनि ग्रह हमसे प्रसन्न होता है और हमारे जीवन में सभी आकांक्षाओं की पूर्ति करने में सहायक बनता है।


इसलिए, शनि का आशीर्वाद पाने का एकमात्र रास्ता अपने कर्मों पर ध्यान देना है – यही शनि के प्रकोप से बचने का महामंत्र है। आइये विस्तार से जानें कि अच्छे या बुरे कर्म क्या होते हैं, और वे कौन से कर्म या ज्योतिषीय उपाय हैं जिनसे शनि महाराज प्रसन्न होते हैं।


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शनि के उपायों से पहले शनि ग्रह को समझें

शनि ग्रह के दो पहलू होते हैं – एक बाहरी और दूसरा आंतरिक। बाहरी शनि वह है जिसे हम मंदिरों में शनि देवता के रूप में पूजते हैं, और आंतरिक शनि वह है जो हमारे भीतर मानसिक स्तर पर सक्रिय रहता है। यह जानकर आपको आश्चर्य हो सकता है कि सभी ग्रह हमारी आत्मा और मन पर अपना प्रभाव डालते हैं, और इनकी ऊर्जा हमारे जीवन को सीधे रूप से प्रभावित करती है। हमारे भीतर का शनि हमारी कुंडली में शनि की स्थिति से देखा जा सकता है। कुंडली में शनि की जैसी स्थिति होती है, वैसी ही ऊर्जा हमारे भीतर संचालित होती है।


शनि की स्थिति को समझने के लिए एक कुशल ज्योतिषी की आवश्यकता होती है, जो बता सके कि यह ग्रह आपके लिए सकारात्मक प्रभाव दे रहा है या नकारात्मक।एक सकारात्मक शनि आपको मेहनती और महत्वाकांक्षी बनाता है। इसका प्रभाव आपको लोगों से सहयोग दिलाता है और सही समय पर सही दृष्टिकोण अपनाने में मदद करता है, जिससे सफलता आपके कदम चूमती है।


वहीं दूसरी ओर, नकारात्मक शनि आपको आलसी बना सकता है। इसकी ऊर्जा के प्रभाव में आप मेहनत से कतराते हैं, असमय ही लोगों के द्वारा आलोचना का शिकार होते हैं, और आपके जीवन में कोई ठोस लक्ष्य नहीं होता। यह स्थिति आपको गलत राह पर ले जाती है, जिससे जीवन व्यर्थ हो सकता है।


यह देखा गया है कि सभी बड़े अधिकारी, नेता, और प्रभावशाली व्यक्तियों की कुंडली में शनि ग्रह मजबूत स्थिति में होता है, जो उन्हें उच्च पद पर स्थापित करने में सहायक होता है। शनि ग्रह जान मानस का प्रतिनिधत्व करता है और यदि यह कुंडली में दसवें भाव में मजबूत स्थिति में हो तो यह आपको सरकारी पद भी दिलवा सकता है। सरकारी नौकरी के लिए हमें शनि की स्थिति को जांचना चाहिए। यदि आप सरकारी नौकरी पाना चाहते हैं तो ज्योतिषी से मिलकर जानें कि आपकी कुंडली का शनि आपकी सरकारी नौकरी के लिए कितना सहायक है। यही शनि की कार्यशैली है – यह हमें ऊंचाइयों पर भी पहुंचा सकता है, और लापरवाही में डूबा भी सकता है।

सच तो यह है कि इस ब्रह्मांड के सभी जीव एक दिव्य परिवार का हिस्सा हैं। लेकिन राहु का प्रभाव हमें स्वार्थ और भ्रम की ओर खींचता है, जिससे हम अपने वास्तविक कर्तव्यों को भूल जाते हैं। यह राहु हमें झूठी खुशी और बाहरी चमक-दमक में उलझा देता है, जो हमें आध्यात्मिक अज्ञानता की ओर धकेल देता है। इस भ्रम में हम गलत सुखों के पीछे भागते हैं, गलत काम करते हैं, और इस तरह कर्मों में बुराई बढ़ती जाती है।


इन्हीं बुरे कर्मों का परिणाम शनि का क्रोध बनकर हमारे जीवन में आता है। जब यह क्रोध चरम पर होता है, तो व्यक्ति को शनि की सबसे कठिन अवधि – साढ़े साती – का सामना करना पड़ता है, जो जीवन में कई चुनौतियों और कठिनाइयों को लेकर आती है।


शनि अपने फल कब देता है- साढ़ेसाती या ढैय्या?

जन्म लेते ही हमारे कर्मों का हिसाब शुरू हो जाता है। उस समय हम खुद कर्म करने की स्थिति में नहीं होते, इसलिए हमारे प्रारंभिक कर्म हमारे माता-पिता की कुंडली और पिछले जन्म के कर्मों के अनुसार तय होते हैं। सभी ग्रह निरंतर गतिशील होते हैं, और हमारे जन्म के साथ ही वे कुंडली के विभिन्न भावों और ग्रहों से होकर गुजरना शुरू कर देते हैं।


शनि भी अपने गोचर के माध्यम से हमारी कुंडली के प्रत्येक भाव में हमें कर्मों के अनुरूप अच्छे-बुरे फल देता है। कुंडली का हर भाव शनि के गोचर के दौरान हमें उस क्षेत्र में सही तरीके से कर्म करने के लिए प्रेरित करता है। यह हमारे ही हाथ में है कि हम हर भाव में कैसे कर्म करते हैं और उसी के अनुसार अपने भविष्य के लिए कौन से फल एकत्रित करते हैं। उदाहरण के लिए, अगर शनि आपके दसवें भाव में है, तो वह चाहता है कि आप कार्यस्थल पर मेहनत, ईमानदारी, और समर्पण से काम करें। लेकिन अगर इस दौरान आप बेईमानी या लापरवाही दिखाते हैं, तो शनि के अगले गोचर में, जो लाभ के ग्यारहवें भाव में होगा, आपको हानि का सामना करना पड़ सकता है।


उदाहरण- शनि आपके दसवें भाव में गोचर कर रहा है जहां यह चाहता है की आप कार्यस्थल पर एकाग्रता, ईमानदारी , निष्ठां और म्हणत से काम करें। यदि इस दौरान आप काम चोरी करते हैं, अपने अधिकारियों या सहयोगियों से गलत बर्ताव करते हैं, या बेईमानी कर अपना फयदा करने की सोचते हैं तो आप शनि के अगले गोचर में बुरे परिणामों के लिए तैयार रहे। शनि का अगला गोचर आपके लाभ भाव यानि ग्यारहवें भाव में होगा और यहां ये आपको लाभ नहीं हानि देंगें क्यूंकि आपने शनि के अनुरूप काम ना करते हुए उनके क्रोध को आमंत्रित किया है।


इसी तरह, शनि आपके जन्मजात ग्रह स्थिति के अनुसार कुंडली के सभी भावों में भ्रमण करते हुए आपके कर्मों के आधार पर आपको फल प्रदान करता है। शनि कर्म फल दाता है और यदि आप इनकी कार्यशैली के अनुरूप कार्य नहीं करते तो ये आपको बंधन की स्थिति भी दे सकते हैं जिसमे व्यक्ति जेल जा सकता है या किसी लम्बी बीमारी का शिकार हो लम्बे समय के लिए बिस्तर से लग सकता है। कोर्ट केस में शनि की निर्णायक भूमिका होती है, शनि का गोचर आपके कोर्ट केस के परिणामों को पूर्णतः प्रभावित करता है। यदि आप कोर्ट केस किसी में फंसे हैं और परिणाम को लेकर अनिश्चित है तो एक योग्य ज्योतिषी आपकी कुंडली के अनुसार शनि के उपाय बताकर आपको इच्छित परिणाम दिलवाने में सहायक है। लेकिन हाँ, कर्म तो सही होने ही चाहिए ! शनि के प्रभाव का निर्णायक समय तब आता है, जब साढ़ेसाती या ढैय्या की अवधि शुरू होती है। इस समय शनि में इतनी शक्ति होती है कि वह आपको राजा बना सकता है या रंक।


साढ़ेसाती और ढैय्या के दौरान आपकी कुंडली में चंद्रमा की विशेष भूमिका होती है। चंद्रमा, जो हमारे मन का प्रतीक है, के आधार पर ही साढ़ेसाती और ढैय्या की गणना की जाती है। शनि की साढ़ेसाती का मतलब है, शनि के प्रभाव से मन पर दबाव या कष्ट का आना। इस दौरान ऐसी घटनाएँ घट सकती हैं जो असल में आपके कर्मों का ही फल होती हैं, और जो आपके मन को अस्थिर कर सकती हैं। आप मानसिक रूप से परेशान और दुखी महसूस कर सकते हैं। आप बेचैनी महसूस करते हैं और आपके अधिकतर कार्य असफल हो सकते हैं। यह समय है जब मन दुःख के अँधेरे में डूब सकता है।


शनि की साढ़ेसाती तब होती है जब शनि आपके चंद्रमा से बारहवें, पहले और दूसरे भाव में गोचर करता है। यह मन और भावनाओं पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। शनि की साढ़ेसाती के दौरान व्यक्ति डर, घबराहट और नकारात्मक सोच से घिर सकता है, जिससे वह जल्दी-जल्दी फैसले लेता है। यह समय कुछ खास समस्याओं का कारण बन सकता है जैसे :


  • आपके भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रहता।

  • आप बिना सोचे-समझे बातें कहते हैं।

  • रिश्तों और काम में समस्याएँ आ सकती हैं।

  • बिना कारण के डर महसूस होता है।

  • आपको हमेशा असफलता का डर रहता है।


इसलिए शनि की साढ़ेसाती के दौरान हमें अपने निर्णयों में सचेत रहना चाहिए और मानसिक शांति बनाए रखने की कोशिश करनी चाहिए।

लेकिन, शनि की साढ़ेसाती का समय सभी के लिए समान नहीं होता। यदि आपकी कुंडली में शनि सशक्त है और आपके कर्म अच्छे हैं, तो साढ़ेसाती वह समय हो सकता है जब आप अपनी मेहनत और सही कर्मों से सफलता की ऊंचाइयों को छू सकते हैं। शनि ही वह ग्रह है जो आपकी नौकरी सम्बन्धी समस्याओं का निदान कर आपको नौकरी में प्रमोशन भी दिलवाता है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि आप किसी योग्य ज्योतिषी से मिलकर अपनी कुंडली में शनि की स्थिति को समझें और जानें कि कौन से कार्य शनि को प्रसन्न करने के लिए किए जाने चाहिए। यही वह कर्म हैं जो शनि की कृपा और सफलता की ओर मार्गदर्शन करते हैं।


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कौन से कर्म करने से शनि प्रसन्न होते हैं?

यहां हम आपको दोनों तरह के कर्मों की जानकारी देंगें जो आपके लिए शनि की कृपा या क्रोध को आमंत्रित कर सकते हैं। शनि ग्रह को प्रसन्न करने वाले कर्म:

  • अपने कर्मों में ईमानदार रहें।

  • निचले वर्ग के लोगों की मदद करें।

  • गरीबों और कमजोर लोगों के प्रति दयालु और उदार रहें।

  • अपनी सोच और व्यवहार में न्यायपूर्ण रहें।

  • जीवन में जो भी कुछ मिला है, उसके लिए भगवान का आभार व्यक्त करें (सिर्फ अपनी शक्ति पर विश्वास करने के बजाय)।


शनि ग्रह को अप्रसन्न करने वाले कर्म:

  • लोगों को बिना कारण डराना।

  • दूसरों को दुख देकर या दुखी देखकर खुश होना।

  • लोगों को शर्मिंदा करने में खुशी महसूस करना।

  • दूसरों को नीचा दिखाने की कोशिश करना।

  • कठोर ह्रदय या निर्दयी होना।

  • नकारात्मक सोच रखना और स्वार्थी होना।

  • आलस्य करना, बिना कारण कार्यों में देरी करना।


तो यह सभी लक्षण शनि के नकारात्मक प्रभाव को दर्शाते हैं। हम ऐसा जानबूझकर या अनजाने में कर सकते हैं, लेकिन इस तरह के कर्मों से हमें भविष्य में शनि के प्रकोप का सामना करना पड़ेगा। याद रहे, शनि हर समय हमारे कर्मों का हिसाब रख रहा है।


साढ़ेसाती के उपाय

साढ़ेसाती का सबसे अच्छा उपाय यह है कि आप पहले यह जानें कि आपकी साढ़ेसाती कब होगी। थोड़ा आत्मचिंतन करें और कोशिश करें कि आप खुद को शनि देव की तरह समझें और अपने कर्मों को आंकें। अगर आप उलझन में हैं, तो किसी अच्छे ज्योतिषी से मिलें, अपनी पिछले 2-3 सालों की स्थिति बताएं, और साढ़ेसाती के लिए अपनी कुंडली अनुसार शनि को प्रसन्न करने का सबसे अच्छा उपाय जानें।

सामान्य उपायों में जानवरों की सेवा, गरीबों की मदद व दान या किसी विशेष पेड़ की पूजा आदि आते हैं। पर ये केवल सामान्य उपाय हैं, विशेष नहीं। ये सभी उपाय तब ठीक हैं जब आप किसी फल की उम्मीद किए बिना इन्हें करें, लेकिन अगर आप यह सोचते हैं कि ये शनि को प्रसन्न करने के उपाय हैं, तो यह अधूरा सच है। हां, शनिवार को विशेष रूप से अगर आप मांसाहार नहीं करते, शराब और नशे से बचते हैं, और देर रात तक नहीं जागते, तो ये शनि के अच्छे उपाय हैं। और सबसे ज़रूरी- साढ़ेसाती के दौरान कानूनी मामलों से बचें।

शनि देव को प्रसन्न करने का सरल तरीका है: जो आप दूसरों के साथ करते हैं, एक मिनट के लिए सोचें कि अगर कोई वही आपके साथ करे तो आपको कैसा लगेगा। इस तरह हम शनि देव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं, आपको जीवन में लोगों का विश्वास, सम्मान और प्यार प्राप्त होगा और आप अपने करियर में सफलता की चरम सीमा पर पहुँच सकते हैं।

अच्छा समय और हमारा अति आत्म-विश्वास अक्सर हमें अपने कर्मों पर ध्यान नहीं देने देते। यदि हम शनि की कृपा पाना चाहते हैं, तो हमें अपने अच्छे कर्मों को महत्व देना चाहिए, क्योंकि अगर हम वर्तमान जीवन में शनि का गलत तरीके से उपयोग करते हैं, तो हम अपने पूर्व जन्मों के संचित पुण्यों को नष्ट कर रहे होते हैं और भविष्य में और भी कठिनाइयों को आमंत्रित कर रहे होते हैं।

किसी भी विशेष समस्या के समाधान के लिए, मैं हमेशा आपके साथ हूं। एक ज्योतिषी और मार्गदर्शक के रूप में, मेरा उद्देश्य यह होगा कि मैं आपकी कुंडली के अच्छे योगों का सही तरीके से लाभ उठाने में आपकी मदद करूं, न कि आपको डराकर या बिना सोचे-समझे केवल उपायों और रीतियों में उलझा दूं।


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Source URL - https://www.vinaybajrangi.com/blog/shani-grah-ke-prakop-se-kaise-bachein


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